सेक्स और सेंसेक्स की भूख
-अनुराग मुस्कान
यह प्यास है बड़ी। दरअसल यह स्लोगन अधूरा है। सीमित है। संकुचित है। इसमें प्यास तो है, भूख नहीं है। प्यास के साथ अगर इसमें भूख भी होती तो यह असीमित हो जाता, व्यापक हो जाता। हमारे देश में प्यास से कहीं ज्यादा भूख बड़ी है। हमें कभी भी, कहीं भी भूख लग जाती है। मैंने सड़क पर चाट-पकोड़ी की रेहड़ी से लेकर पंचसितारा होटल तक भूखों की कभी न खत्म होने वाली कतारें देखी है। यह देख मेरा विश्वास और दृढ़ हुआ है कि यह भूख है बड़ी। भूख केवल पेट की ही नहीं होती, शरीर की भी होती है, मन की भी होती है, दिमाग की भी होती है, आंखों की भी होती है और जेब की भी होती है। हर भूख बड़ी है। बड़ी के साथ, यह भूख बढ़ी भी है। लगातार बढ़ी है। आजकल तो सेक्स से लेकर सेंसेक्स तक, भूख ही सुर्खियों में है। कोई सेक्स की भूख से त्रस्त है तो कोई सेंसेक्स की और कोई दोनों ही की। सबकी अपनी-अपनी भूख है। भूख शांत करने की मंशा से सभी कतारबद्ध हैं। सवा करोड़ की भीड़ है। भीड़ भी भूख के साथ लगातार बढ़ती ही जाती है। आज सवा करोड़ है, कल डेढ़ करोड़ होगी और परसों दो करोड़। अभी आधे ठीक से तृप्त भी नहीं हो पाते कि पहले वाले को फिर से भूख सताने लगती है। यह क्रम अनवरत जारी है। सेक्स से लेकर सेंसेक्स तक भूख वर्गीकृत है। सेक्स और सेंसेक्स से जुड़ी हर खबर ब्रेकिंग हैं, एक्सक्लूसिव है। सेक्स और सेंसेक्स की भूख के मामले में छोटे निवेशक एक विश्वसनीय साथी और एक विश्वस्नीय शेयर के साथ संतुष्ट हो जाते हैं लेकिन बड़े निवेशक, दोनों ही मामलों में रैकट चला कर भी असंतुष्ट हैं। छोटे निवेशक दोनों ही मामलों में घाटा उठाते हैं और बड़े निवेशक मुनाफा कमाते हैं।
भूख के दौर होते हैं, और दौरे भी। अब वह दिन दूर नहीं जब फास्ट फूड और लाटरी की तरह सेक्स और सेंसेक्स की भी रेहड़ी लगा करेगी। रेहड़ी से लेकर फाइव स्टार होटल तक सेक्स और सेंसेक्स की हर स्वादिष्ट वैरीयटी उपलब्ध होगीं। रेहड़ी पर बोर्ड लगा होगा- दिल्ली और मुंबई की मशहूर, ताजातरीन सेक्स और तेजी से बढ़ते सेंसेक्स का सबसे पुराना ठिकाना, बड़े-बड़े अभिनेताओं से लेकर बड़े-बड़े नेताओं तक की पहली पसंद, ग्राहक की सेवा ही हमारा मकसद, संतुष्टि गारंटीड, एक बार सेवा का मौका अवश्य दें। इसी प्रकार फाइव स्टार होटलों में सेक्स और सेंसेक्स के हैप्पी ऑवर्स हुआ करेंगे। मुझे तो सेक्स और सेंसेक्स के व्यवसायियों का फ्यूचर चकाचक नजर आ रहा है। भूख बढ़ेगी तो मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ेगी तो बाजार भी फैलेगा। इस संबंध में दुकानों के आवंटन को लेकर भी मारामारी मचेगी। जैसे शराब के ठेकों को लेकर मचती है। यहां भी प्राइम लोकेशन की दुकानें सफेदपोशों के भईयों, भतीजों और भांजों को भी मिलेगीं। छोटी रसूख वाले रेहड़ी और दुकान लगाएंगे और रैकट चलाने वाले बड़े रसूखधारी बड़े-बड़े मॉल में अपने कारोबार को विस्तार देंगे। भूख पर बाजार टिका है, और टिका रहेगा। जितनी बड़ी भूख उतना ही बड़ा बाजार। मुझे सेक्स और सेंसेक्स के धंधे में संभावनाओं का सुनामी दिखाई दे रहा है। ऐसे में पुलिस-प्रशासन से भी क्या डरना। पुलिसवाले तो चाऊमीन और मोमोज की रेहड़ियों को भी डंडा दिखाते हैं और बाद में एक प्लेट चाऊमीन और बीस रुपए में मान जाते है।
( 13-09-2006 को 'हिन्दुस्तान' में प्रकाशित)
9 comments:
भूख का वर्णन सही है । फ़िलहाल क्या लिख रहे है?
कोई ई-मेल,वी-मेल भी दीजिए
एक भी टिप्पणी नही थी ,सोचा संख्या बढा दें।इसलिए एक बटा तीन कर दिया।
आपका स्वागत है!
सारा ही जग ऎषणाओं से ग्रस्त हैऔर इन्हें बढानेवाले माध्यम भी लगातार सक्रिय हैं
Wah..
wakeyee post mein dum hai...
Well done..
Great effort..
99% bachelor
saale kamine.teri jaat ka baida maarun.terko pata bi hai sex kya hota hai sale chakke.tera khada b hota h?
saale kamine.teri jaat ka baida maarun.terko pata bi hai sex kya hota hai sale chakke.tera khada b hota h?
फ़िरदौस खान said...
अज़ल (आदि) से अबद (अंत) तक औरत का जिस्म मर्द के लिए हमेशा से पहेली रहा है और आगे भी रहेगा...क्या कोई इस जिस्म के तिलिस्म से बच पाया है...लेकिन हर चीज़ की एक मर्यादा होती है, जिसे क़ायम रखने मैं ही सबकी भलाई है... जां निसार अख्तर साहब ने कहा है-सोचो तो बड़ी चीज़ है तहज़ीब बदन की, वरना तो बदन आग बुझाने के लिए है...
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